17 जुलाई का दिन विशेष
17 July special day in India
17 July
special day in India

17 July special day in India
महत्वपूर्ण दिवस
17 जुलाई का दिन विशेष
17 जुलाई का इतिहास
- 1955: वॉल्ट डिज़्नी ने कैलिफोर्निया में डिज़्नीलैंड खोला।
- 1975: अमेरिका के अपोलो और रूस के सोयुज दो अंतरिक्ष यानों से जुड़े।
- 1976: कनाडा के मॉन्ट्रियल में 21वें ओलंपिक खेल शुरू हुए।
- 1993: वरिष्ठ विचारक तर्कतीर्थ लक्ष्मण शास्त्री जोशी को तेलुगु भाषा में तेलुगु थल्ली पुरस्कार।
- 1994: धूमकेतु शूमाकर-लेवी-9 का पहला टुकड़ा बृहस्पति से टकराया।
- 1994: विश्व कप फाइनल में ब्राज़ील ने इटली को पेनल्टी शूटआउट में हराया।
- 1996: मद्रास के नाम से प्रसिद्ध शहर का नाम आधिकारिक तौर पर चेन्नई रखा गया।
- 2006: डिस्कवरी अंतरिक्ष यान फ्लोरिडा के केप कैनावेरल अंतरिक्ष केंद्र में 13 दिन की अंतरिक्ष यात्रा पूरी करने के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित उतरा।
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17 जुलाई जन्म, निधन
17 जुलाई का दिन विशेष
एडमिरल सुनील लंबा जन्म
एडमिरल सुनील लंबा भारतीय नौसेना के सम्मानित पूर्व प्रमुख हैं, जिनका जन्म 17 जुलाई 1957 को हरियाणा के पलवल में हुआ था। वे जनवरी 1978 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए और नेविगेशन एवं दिशा निर्देश में विशेषज्ञता प्राप्त की। एडमिरल लंबा ने 31 मई 2016 से 31 मई 2019 तक नौसेना प्रमुख के रूप में अपनी सेवा दी। इस दौरान उन्होंने चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का दायित्व भी निभाया।
उनके कार्यकाल में भारतीय नौसेना ने अपनी युद्धक क्षमताओं को मजबूत किया और कई अत्याधुनिक प्रणालियाँ शामिल कीं। उन्होंने नौसेना के प्रशिक्षण ढांचे को भी आधुनिक बनाया और नई तकनीकों को अपनाने पर ज़ोर दिया। एडमिरल लंबा को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल जैसे कई पुरस्कार मिले हैं। उनका समर्पण और नेतृत्व भावी नौसेना अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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स्नेहल भाटकर जन्म
स्नेहल भाटकर हिंदी और मराठी सिनेमा के सुप्रसिद्ध संगीतकार थे। उनका असली नाम वासुदेव गंगाराम भाटकर था और उनका जन्म 17 जुलाई 1919 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एचएमवी कंपनी से की और वहां काम करते हुए भी गुप्त रूप से फिल्मों के लिए संगीत रचना जारी रखी। उन्होंने कई फिल्मों में ‘बी. वासुदेव’ और ‘स्नेहल भाटकर’ नाम से संगीत दिया।
उनकी मशहूर फिल्मों में हमारी याद आएगी का गीत ‘कभी तन्हाइयों में यूँ…’ आज भी श्रोताओं को भावुक कर देता है। सुहाग रात, आज की बात जैसी फिल्मों में भी उनके संगीत ने दिलों को छुआ। स्नेहल भाटकर को उनके योगदान के लिए महाराष्ट्र सरकार का ‘लता मंगेशकर पुरस्कार’ भी मिला।
29 मई 2007 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी मधुर धुनें आज भी संगीत प्रेमियों के बीच जिंदा हैं।
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कानन देवी निधन
कानन देवी भारतीय सिनेमा की पहली महिला सुपरस्टार और महान गायिका थीं। उनका जन्म 22 अप्रैल 1916 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। कानन देवी ने मूक फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की और बाद में नयी ध्वनि फिल्मों में अपनी मधुर आवाज़ और अभिनय से लोगों का दिल जीत लिया। वे बंगाली और हिंदी सिनेमा में समान रूप से लोकप्रिय रहीं।
उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में विद्यापति और मुक्ति शामिल हैं। कानन देवी ने महिलाओं को सिनेमा में काम करने की प्रेरणा दी और भारतीय फिल्म उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका निधन 17 जुलाई 1992 को हुआ।
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सी. एस. शेषाद्री निधन
सी. एस. शेषाद्री भारतीय गणित जगत के महान गणितज्ञ थे। उनका जन्म 29 फरवरी 1932 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वे एल्जेब्रिक ज्योमेट्री के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए जाने जाते हैं। शेषाद्री का नाम ‘शेषाद्री लॉक्स’ और ‘शेषाद्री कॉन्स्टेंट्स’ जैसे महत्वपूर्ण गणितीय सिद्धांतों से जुड़ा है।
उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में काम किया और बाद में चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शेषाद्री को गणित में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान मिले। उनका निधन 17 जुलाई 2020 को हुआ, लेकिन उनकी विद्वता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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शांता हुबळीकर निधन
शांता हुबळीकर मराठी और हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री और गायिका थीं। उनका जन्म 14 अप्रैल 1914 को कर्नाटक में हुआ था। शांता जी ने 1930 के दशक में मराठी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाई। फिल्म आदमी और मृच्छकटिक जैसी फिल्मों में उनके अभिनय और गायन को खूब सराहा गया।
वे अपनी मधुर आवाज़ और भावपूर्ण अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं। शांता हुबळीकर ने महिला कलाकारों के लिए उस दौर में नए अवसरों के द्वार खोले। उनका योगदान मराठी सिनेमा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उनका निधन 17 जुलाई 1992 को हुआ।
17 जुलाई का दिन विशेष
वर्ल्ड इमोजी डे
वर्ल्ड इमोजी डे
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वर्ल्ड इमोजी डे
#WorldEmojiDay #EmojiLove #DigitalCommunication
वर्ल्ड इमोजी डे हर साल 17 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन हमारे डिजिटल संवाद में इमोजी के महत्व को समझाने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। इमोजी एक छोटे से चित्र के माध्यम से हमारी भावनाओं, विचारों और मूड को व्यक्त करने का सबसे आसान तरीका बन चुके हैं। व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम या कोई भी चैट ऐप हो, इमोजी हर जगह बातचीत को रोचक बनाते हैं।
इमोजी का इतिहास जापान से शुरू
इमोजी का इतिहास जापान से शुरू हुआ था और आज यह दुनियाभर में डिजिटल भाषा का हिस्सा बन गया है। 17 जुलाई को ही कैलेंडर इमोजी पर तारीख लिखी होती है, इसलिए इस दिन को चुना गया। वर्ल्ड इमोजी डे पर कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नए इमोजी रिलीज करते हैं और लोग मजेदार पोस्ट शेयर करते हैं।
इमोजी ने बिना शब्दों के भावनाएँ
इमोजी ने बिना शब्दों के भावनाएँ व्यक्त करने की कला को आसान बना दिया है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी एक छोटा सा चेहरा हजार शब्दों से ज्यादा असरदार होता है!
17 जुलाई का दिन विशेष
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस
17 July special day in India
अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस
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अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस हर साल 17 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अपराध न्याय प्रणाली को मजबूत करना और मानवाधिकारों की रक्षा करना है। यह दिन रोम संविधि के अंगीकरण की याद में मनाया जाता है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की स्थापना हुई थी।
इस न्यायालय का उद्देश्य युद्ध अपराध
इस न्यायालय का उद्देश्य युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार जैसे गंभीर अपराधों के दोषियों को सजा दिलाना है ताकि वैश्विक स्तर पर न्याय सुनिश्चित हो सके। अंतरराष्ट्रीय न्याय दिवस हमें याद दिलाता है कि न्याय सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि समानता, मानवाधिकार और शांति का आधार भी है।
दुनियाभर के देशों को मिलकर इस दिशा में
दुनियाभर के देशों को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए ताकि कोई भी अपराधी सजा से बच न सके। यह दिन युवाओं और समाज को न्याय के प्रति जागरूक करता है और बताता है कि न्याय से ही सच्चा विकास और शांति संभव है।
17 जुलाई का दिन विशेष | 17 July special day in India