17 June special day in India
17 जून को मनाया जाने वाला दिवस

17 June
special day in India

17 june special day in india

17 June special day in India
महत्वपूर्ण दिवस

17 June special day in India
17 जून जन्म, निधन

कैलाश नाथ काटजू जन्म

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कैलाश नाथ काटजू (जन्म: 17 जून 1887 – मृत्यु: 17 फरवरी 1968) भारत के प्रसिद्ध विधिवेत्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे। उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकदमों में भाग लिया, जिनमें आई.एन.ए. के सैनिकों का बचाव और मेरठ षड्यंत्र केस प्रमुख हैं। स्वतंत्रता के पश्चात वे उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। इसके अलावा उन्होंने भारत सरकार में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली। 1957 से 1962 तक वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे, जहाँ उनके नेतृत्व में कई प्रशासनिक व सामाजिक सुधार हुए। वे न्याय, नीति और राष्ट्रसेवा के प्रति समर्पित थे। उनका जीवन भारतीय राजनीति और विधि क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत है।

लिएंडर पेस जन्म

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लिएंडर पेस (जन्म: 17 जून 1973) भारत के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं। वे डेविस कप, ओलंपिक और ग्रैंड स्लैम मुकाबलों में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं। लिएंडर ने आठ युगल और दस मिक्स्ड डबल्स ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं। उनकी जोड़ी मार्टिना हिंगिस, महेश भूपति जैसे खिलाड़ियों के साथ बेहद सफल रही। वे 1996 के अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं। पेस की खेल प्रतिबद्धता, धैर्य और तकनीकी कौशल उन्हें एक आदर्श खिलाड़ी बनाते हैं।

मुमताज़ महल निधन

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मुमताज़ महल (जन्म: 27 अप्रैल 1593 – मृत्यु: 17 जून 1631) मुग़ल सम्राट शाहजहाँ की पत्नी थीं, जिनका असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। वे अपनी सुंदरता, सादगी और शाहजहाँ के प्रति अपार प्रेम के लिए जानी जाती हैं। मुमताज़ की मृत्यु उनके 14वें बच्चे को जन्म देते समय हुई। उनकी याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण कराया, जो आज प्रेम का प्रतीक और विश्व धरोहर स्थल है। मुमताज़ महल का जीवन एक महान प्रेम कहानी का हिस्सा है, जो इतिहास में अमर हो गया है।

जीजाबाई शाहाजी भोसले निधन

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जीजाबाई शाहाजी भोसले (जन्म: 12 जनवरी 1598 – मृत्यु: 17 जून 1674) छत्रपती शिवाजी महाराज की माता और एक आदर्श राष्ट्रमाता थीं। उन्होंने शिवाजी को राष्ट्रभक्ति, धर्मनिष्ठा और वीरता के संस्कार दिए। जीजाबाई ने कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और साहस नहीं खोया। शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व के निर्माण में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। वे अत्यंत बुद्धिमान, धार्मिक और दूरदर्शी महिला थीं। रायगढ़ किले पर उन्होंने स्वराज्य की नींव सुदृढ़ की। उनका जीवन भारतीय नारी शक्ति का प्रतीक है, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

रानी लक्ष्मीबाई निधन

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रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवंबर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध थीं। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम वीरांगना थीं जिन्होंने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध साहसपूर्वक युद्ध किया। बचपन से ही उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्धकला में रुचि थी। झांसी पर अंग्रेजों का अधिकार रोकने के लिए उन्होंने वीरता से मोर्चा संभाला और अंतिम सांस तक लड़ीं। उनकी निडरता, आत्मबल और देशभक्ति आज भी भारत की नारी शक्ति की प्रेरणा हैं। उनका जीवन त्याग और बलिदान का प्रतीक है।

17 June special day in India
17 जून इतिहास

1885 : फ़्रांस से उपहार स्वरूप प्राप्त स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी न्यूयॉर्क बंदरगाह पर पहुंची।

1944: आइसलैंड ने (डेनमार्क से) स्वतंत्रता की घोषणा की और एक गणराज्य बन गया।

1967: चीन हाइड्रोजन बम रखने वाला दुनिया का चौथा देश बना।

1970: शिकागो में पहला किडनी प्रत्यारोपण ऑपरेशन किया गया।

2004 : मंगल ग्रह पर पृथ्वी की चट्टानों जैसी चट्टानें पाई गईं।

2008 : स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ का बंगलौर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया

17 जून को मनाया जाने वाला दिवस
विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस

17 June special day in India

विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस

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विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस हर वर्ष 17 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में मरुस्थलीकरण, भूमि के क्षरण और जल संकट की समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया है ताकि सरकारें, संस्थाएं और आम लोग मिलकर भूमि को संरक्षित करने और जल स्रोतों को बचाने की दिशा में कदम उठा सकें।

बढ़ती जनसंख्या, वन कटाई, जलवायु परिवर्तन और

बढ़ती जनसंख्या, वन कटाई, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित खेती जैसे कारणों से भूमि बंजर होती जा रही है, जिससे सूखा और खाद्य संकट उत्पन्न होता है। इस दिवस पर पौधारोपण, जल संरक्षण और सतत कृषि जैसे उपायों को बढ़ावा दिया जाता है। मरुस्थलीकरण को रोकना न केवल पर्यावरण की रक्षा है, बल्कि मानवता के भविष्य की भी सुरक्षा है।

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