4 May special day in India
4 मई को मनाया जाने वाला दिवस

4 May
special day in India

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4 May special day in India
महत्वपूर्ण दिवस

4 May special day in India
4 मई जन्म, निधन

त्यागराजा जन्म

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त्यागराजा (जन्म: 4 मई 1767 – मृत्यु: 6 जनवरी 1847) भारत के महानतम कर्नाटक संगीतकारों में से एक थे। उनका जन्म तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था। उन्होंने भगवान श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति के साथ हजारों कृतियाँ रचीं, जिनमें “एंदारो महानुभावुलु” और “जगदानंद कारका” जैसी प्रसिद्ध कृतियाँ शामिल हैं। वे त्रिमूर्ति में से एक माने जाते हैं, जिनमें श्यामा शास्त्री और मुत्तुस्वामी दीक्षितर भी शामिल हैं। त्यागराजा ने संगीत को साधना और ईश्वरभक्ति का माध्यम बनाया। हर साल उनकी स्मृति में ‘त्यागराजा आराधना’ महोत्सव आयोजित होता है।

ज्योतिरिंद्रनाथ ठाकुर जन्म

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ज्योतिरिंद्रनाथ ठाकुर (जन्म: 4 मई 1849 – मृत्यु: 4 मार्च 1925) एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे कवि, नाटककार, संगीतकार, चित्रकार और पत्रकार थे। वे रवींद्रनाथ ठाकुर के बड़े भाई थे और भारतीय पुनर्जागरण काल की एक प्रमुख हस्ती रहे। उन्होंने कई नाटक लिखे, जिनमें सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों को प्रमुखता दी गई। उन्होंने भारतीय थिएटर और साहित्य में नए प्रयोग किए और बंगाली संगीत को समृद्ध किया। वे भारतीय समाज सुधार आंदोलन से भी जुड़े रहे। उनका जीवन कला, संस्कृति और समाज सुधार के प्रति समर्पित रहा।

टीपू सुलतान निधन

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टीपू सुलतान (जन्म: 20 नवंबर 1751 – मृत्यु: 4 मई 1799) मैसूर के शासक और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा और भारत को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन होने से बचाने का प्रयास किया। उनका शासन कर्नाटक क्षेत्र में था, जहां उन्होंने आधुनिक सैन्य तकनीक, प्रशासन और विज्ञान के क्षेत्र में कई सुधार किए। “टाइगर ऑफ मैसूर” के रूप में प्रसिद्ध, उन्होंने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रतिरोध स्थापित किया। उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अमूल्य है।

पंडित किशन महाराज निधन

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पंडित किशन महाराज (जन्म: 3 सितंबर 1923 – मृत्यु: 4 मई 2008) बनारस घराने के प्रसिद्ध तबला वादक थे। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। किशन महाराज ने अपनी अद्वितीय शैली, लय की समझ और तीव्र ताल तकनीक के कारण संगीत जगत में विशेष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने पंडित रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्ला खान और अली अकबर खान जैसे महान कलाकारों के साथ संगत की। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मविभूषण से सम्मानित किया। उनका जीवन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा का प्रतीक रहा।

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4 मई इतिहास

1854: भारत में पहला डाक टिकट प्रकाशित हुआ।

1962 : अमेरिका ने क्रिसमस द्वीप पर वायुमंडलीय परमाणु परीक्षण किया।

1979 : नासा ने फ्लाइटसैटकॉम-2 लॉन्च किया, जो अमेरिकी नौसेना की एक उपग्रह संचार प्रणाली थी जिसका उपयोग जहाजों, पनडुब्बियों, हवाई जहाजों और नौसेना के जमीनी स्टेशनों के बीच यूएचएफ रेडियो संचार के लिए किया गया था।

1989 : नासा ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुक्र ग्रह के लिए मैगलन मिशन लॉन्च किया

1989 : अमेरिकी अंतरिक्ष यान एसटीएस-30 लॉन्च किया गया। यह नासा का 29वां अंतरिक्ष यान मिशन था और अंतरिक्ष यान अटलांटिस का चौथा मिशन था। चैलेंजर आपदा के बाद यह चौथा शटल लॉन्च था और आपदा के बाद पहला शटल मिशन था जिसमें महिला अंतरिक्ष यात्री सवार थी।

4 मई को मनाया जाने वाला दिवस
अग्निशमन कर्मियों का स्मृति दिवस

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अग्निशमन कर्मियों का स्मृति दिवस

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अग्निशमन कर्मियों का स्मृति दिवस हर साल 4 मई को मनाया जाता है। यह दिन उन बहादुर अग्निशामकों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित होता है, जिन्होंने दूसरों की जान बचाते हुए अपनी जान गंवा दी। यह दिवस साहस, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। अग्निशामक बिना किसी भय के आग, आपदा और संकट में फंसे लोगों की सहायता करते हैं।

इस दिन परेड, मौन श्रद्धांजलि

इस दिन परेड, मौन श्रद्धांजलि, स्मृति-समारोह और विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें मृत अग्निशामकों को सम्मानित किया जाता है। साथ ही, वर्तमान में सेवा में कार्यरत अग्निशामकों के साहस और योगदान को भी सराहा जाता है।

यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि

यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि अग्निशमन केवल एक पेशा नहीं, बल्कि सेवा और समर्पण का प्रतीक है। हमें उनके योगदान को समझना चाहिए और समाज में उनके लिए आदर और सम्मान बनाए रखना चाहिए।

4 मई को मनाया जाने वाला दिवस
पक्षी दिवस

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पक्षी दिवस

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पक्षी दिवस हर साल 4 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पक्षियों के संरक्षण, उनके आवास की सुरक्षा और उनके महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। पक्षी प्रकृति का अभिन्न अंग हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे न केवल कीटों का नियंत्रण करते हैं, बल्कि परागण, बीज फैलाव और पर्यावरणीय संकेतक के रूप में भी कार्य करते हैं।

बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण, जंगलों की कटाई

बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण, जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ संकट में हैं। बर्ड डे पर विभिन्न संस्थाएँ पक्षियों की सुरक्षा, अध्ययन और उनके निवास स्थानों की रक्षा हेतु कार्यक्रम आयोजित करती हैं।

स्कूलों, पार्कों और सामाजिक संगठनों

स्कूलों, पार्कों और सामाजिक संगठनों में पक्षी-दर्शन, चित्रकला प्रतियोगिताएँ और जागरूकता रैलियाँ आयोजित की जाती हैं। इस दिन हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम पक्षियों की रक्षा करेंगे और उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाएंगे।

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